संक्षिप्त परिचय:
पं. दीनदयाल उपाध्याय हिन्दी विद्यापीठ भगवान विष्णु के अष्टम अवतार भगवान कृष्ण की जन्म भूमि एवं भारतीय जनसंघ के संस्थापक अध्यक्ष पं. श्री दीनदयाल उपाध्याय जी की जन्म स्थली मथुरा में हिन्दी भाषा एवं साहित्य के प्रचार-प्रसार को समर्पित संस्था है।
पं. दीनदयाल उपाध्याय हिन्दी विद्यापीठ ने ही सर्वप्रथम हिन्दी लेखकों , रचनाकारों, साहित्यकारों एवं हिन्दी लेखन में रुचि रखने वाले साहित्य मनीषियों को प्रोत्साहित करने हेतु सारस्वत सम्मान , साहित्य भूषण , विद्या वाचस्पति आदि से सम्मानित योजना करने पर विचार किया ।
आज विश्व के कोने कोने से हिन्दी साहित्य में योगदान के साथ हिन्दी भाषा को राष्ट्र भाषा के रूप में पुनर्स्थापित करने में आहुति देने वाले हिन्दी भाषा के विद्वानों को संस्था से जोड़कर उन्हें सम्मान देने का सार्थक प्रयास किया जा रहा है।
इसके अतिरिक्त शासकीय कार्यों में सहजता और सरलता लाने हेतु प्रदेशों में सरकारी तन्त्र, सरकारी, अर्द्धसरकारी, गैर सरकारी ,निगम, प्रतिष्ठान, कारखानों, पाठशालाओं, विश्वविद्यालयों, नगर-निगमों, व्यापार और न्यायालयों तथा अन्य संस्थाओं, समाजो, समूहों में देवनागरी लिपि और हिन्दी का प्रयोग कराने का प्रयत्न करना। हिन्दी साहित्य की श्रीवृद्धि के लिए मानविकी, समाजशास्त्र, वाणिज्य, विधि तथा विज्ञान और तकनीकी विषयों की पुस्तकें लिखवाना और प्रकाशित करना। हिन्दी की हस्तलिखित और प्राचीन सामग्री तथा हिन्दी भाषा और साहित्य के निर्माताओं के स्मृति-चिह्नों की खोज करना और उनका तथा प्रकाशित पुस्तकों का संग्रह करना। अहिन्दी भाषी प्रदेशों में वहाँ की प्रदेश सरकारों, बुद्धिजीवियों, लेखकों, साहित्यकारों आदि से सम्पर्क करके उन्हें देवनागरी लिपि में हिन्दी के प्रयोग के लिए तथा सम्पर्क भाषा के रूप में भी हिन्दी के प्रयोग के लिए प्रेरित करना। सुप्रसिद्ध ग्रन्थकारों, लेखकों, कवियों, पत्र-सम्पादकों, प्रचारकों को पारितोषिक, प्रशंसापत्र, पदक, उपाधि से सम्मानित करना।